समझना और ना समझना By -StudyThink

शिक्षा हमें सिखाती है कि हम क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते मैं बहुत सी ऐसी असीम क्षमता वाले लोगों की तलाश में हूं जो या नहीं जानते कि क्या नहीं किया जा सकता।

हेनरी फोर्ड ने दुनिया को v8 इंजन दिया। उन्होंने स्कूली शिक्षा ज्यादा नहीं पाई थी वास्तव में 14 साल की उम्र में के बाद वे स्कूल ही नहीं गए उनमें इतनी समझ तो थी कि वह v8 इंजन उनकी कंपनी के लिए काफी मूल्यवान होगा पर वह या नहीं जानते थे कि

उसे कैसे बनाया जाए इसलिए उन्होंने अपनी कंपनी के सारे उचित तालीम वाले लोगों से v8 इंजन बनाने को कहा उन लोगों ने हेल्दी फूड को बताया कि v8 इंजन बनाना नामुमकिन है

लेकिन हेनरी फोर्ड बीएड इंजन बनाने की अपनी मांग पर अड़े रहे कुछ महीने बाद उन्होंने अपने लोगों से फिर पूछा कि क्या उन्होंने भी एट इंजन बना लिया है तो लोगों ने जवाब दिया कि हमें मालूम है कि क्या हो सकता है और क्या नहीं हो सकता v8 इंजन बनाना असंभव है।

कुछ महीनों के बाद फोड़ने अपने लोगों से फिर कहा कि मुझे मेरा भी एक इंजन चाहिए कुछ ही दिनों बाद वही लोग हेल्दी फूड का v8 इंजन बनाकर ले आए।

यह कैसे संभव हुआ लोगों ने अपनी शिक्षा की हदों से आगे बढ़कर सोचा शिक्षा हमें जहां एक और यह बताती है कि क्या किया जा सकता है वहीं दूसरी ओर कई बार झूठी सीमाएं भी बांधती है।

जिम्मेदारी कैसे लें

हमें अपने व्यवहार और काम की जिम्मेदारी को कबूल करना चाहिए और बहानेबाजी उसे बचना चाहिए उस स्टूडेंट की तरह ना बने जो सिर्फ इसलिए फेल हो गया था

क्योंकि उसे टीचर या विषय पसंद नहीं आया सबसे ज्यादा नुकसान वही किसे पहुंचाता है। हमें अपनी जिम्मेदारी को कबूल करके दूसरों को दोष देना बंद करना चाहिए इससे हमारी उत्पादकता और जीवन का गुणवत्ता में सुधार आएगा। अधिकार हमारी जिम्मेदारियों से बड़े नहीं हो सकते

हमारे अधिकारियों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारियों के पालन से ज्यादा नहीं बढ़ सकती। बहानेबाजी यू समस्याओं को और भी मुश्किल बना देती हैं।

जैसे खुद के परिवार के दफ्तर के समाज के और वातावरण के जिम्मेदारी होते हैं। पेड़ पौधों को लगाकर मिट्टी के कटाव को रोककर और कुदरत की खूबसूरती की हिफाजत करके हम हरियाली पढ़ा सकते हैं।

हमें इसी धरती पर रहना है हमारे पास दो दूसरी धरती नहीं है। हमारे पास जहां हम जा सके हमें हर दिन कुछ ऐसा काम करना चाहिए जिनसे या दुनिया रहने की एक बेहतर जगह बन सके हम पर आने वाली पीढ़ियों के लिए इस पृथ्वी की हिफाजत करने की जिम्मेदारी है

अगर हम जिम्मेदारी भरा व्यवहार नहीं करेंगे तो आने वाली पीढ़ियां हमें पैसे माफ कर सकेंगे। अगर आदमी की आवश्यक उम्र 75 साल हो और हम अभी 40 साल के हैं तो हमको अब भी 365 बूढ़े 35 दिन जीना है

अपने आपसे यह सवाल पूछे कि हम इस समय के साथ क्या करने जा रहे हैं जब हम अपनी जिम्मेदारियों से इनकार करते हैं या बढ़ाते हैं तो खुद को और भी महत्वपूर्ण बना लेते हैं क्या यह सच नहीं है।

अनुशासन कैसे बनाएं

आत्म अनुशासन हमारे आनंद को खत्म नहीं करता बल्कि और बढ़ाता है। आपने देखा होगा कि अनेक लोग प्रतिभा और क्षमता के बावजूद नाकामयाब हैं वे मायूस होते हैं

और यह बात उनके व्यापार सेहत और रिश्तो पर असर डालती है वह संतुष्ट नहीं होते और अपनी समस्याओं के लिए भाग्य को दोष देते रहते हैं वह महसूस नहीं कर पाते कि और भी कई समस्याएं अनुशासन की कमी से पैदा हुई है।

सही और सब सोच के साथ बनाए गए लक्ष्य आदमी को एक दिशा दिखाते हैं लक्ष्य पाने में कामयाब होने से उसे संतोष मिलता है मकसद से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है मकसद का एहसास और हमारी दृष्टि जिंदगी को एक अर्थ और पूर्णता मिलती है।

अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश में हम जो बनते हैं वाला चाहा सील होने के बाद मिलने वाली उपलब्धियों से अधिक महत्वपूर्ण होता है कि कुछ बनने की या प्रक्रिया ही हमें सच्ची खुशी देती है

और यही सच्ची अर्थों में स्वाभिमान है हमारे लक्ष्य असलियत से दूर नहीं होने चाहिए क्योंकि जो लक्ष्य असलियत से परे या बेबुनियाद होते हैं वह कामयाबी में नहीं बदल जाए बदले जा ंं सकते हैं।

जिससे हमारे स्वाभिमान में कमी आती है जबकि वास्तविकता पर आधारित लक्ष्य में उत्साहित करने के साथ-साथ हमारे स्वाभिमान को भी बढ़ाते हैं। अगर आपको खुद के मान सम्मान को महत्व देते हैं

तो गुणवान लोगों की संगत में रहे खराब संगत में रहने से तो अच्छा है कि आप अकेली ही रहे दोस्ती की परख हम लोग साथियों के दबाव में आकर पूरा असर अपना लेते हैं और लोग कहते हैं क्या तुम मेरे दोस्त नहीं हो याद रखेगी अच्छे दोस्त अपने दोस्त को दुख और तकलीफ से कभी नहीं देखना चाहते अगर

मैं अपने किसी दोस्त को कभी बेहद शराब पिए हुए देखो तो मैं उसे गाड़ी चलाने से रोक लूंगा मैं दोस्त होने के बजाय दोस्ती खोना पसंद करूंगा। अक्सर ऐसा देखा गया है कि लोग दूसरों की नजर में अच्छा बनने के लिए गलत काम भी बड़ा आसानी से कर जाते हैं और कहते हैं

बड़ा मजा आया मगर वह या नहीं समझ पाते कि उनका यही मजा उनकी जिंदगी को मजाक बना देता है साथियों के दबाव में जो चीजें शुरू होती है वास्तव में उनसे दोस्ती की परख होती है

जब हम मुश्किल में होंगे तब वह कहां होंगे वह हमारी मदद कहां तक करेंगे और सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि जब उनके पास आज चरित्र नहीं आए तो कल में हमारी मदद के लिए चरित्र कहां से लाएंगे ऊंचे नैतिक चरित्र के लोग के साथ जुड़ने से हमारे स्वाभिमान बढ़ता है।

जब किसी इंसान में झुंड में शामिल होने की इच्छा सच्चाई पर डटे रहने की इच्छा से ज्यादा ताकतवर होती है तो यह साफ है कि उसने साहस और चरित्र की कमी है लोगों के साथ बने रहने के लिए उनका साथ देते रहना सुविधाजनक होता है इससे हमारे साथ ही खुश रहते हैं

और हमारा मजाक बनाए जाने का डर नहीं रहता मगर यही ऊंचे दर्जे के आत्मसम्मान वाले लोग एक सीमा रेखा खींच लेते हैं यहीं पर बड़े और छोटे का फर्क पता चल जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *