भारत की सबसे लंबी दूरी की एक्सप्रेस रेलगाड़ी By – StudyThink

भारत की सबसे लंबी दूरी की एक्सप्रेस रेलगाड़ी हिमसागर एक्सप्रेस है। यह जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी नगरों के मध्य सप्ताह में एक बार चलती है। यह 3726 किलोमीटर की दूरी 68 घंटे में पूरा करती है

इंडियन एयरलाइंस और एयर इंडिया में क्या अंतर है आइए जाने

एयर इंडिया द्वारा विदेशों के लिए हवाई परिवहन की व्यवस्था की जाती है। इसके वायुयान 37 स्थानों के लिए उड़ान भरते हैं। वर्ष 2002 और 2003 में इस निगम के नियंत्रण में 20 विमान थे वर्तमान में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण भारत में 124 हवाई अड्डों का प्रबंध देखता है इस निगम द्वारा संचालित चार प्रमुख हवाई मार्ग होते हैं।

1. मुंबई काहिरा रूम जेनेवा पेरिस लंदन,

2. दिल्ली अमृतसर काबुल मास्को,

3. कोलकाता सिंगापुर सिडनी पर्थ,

4. मुंबई काहिरा रूम डसेलडोर्फ लंदन न्यूयॉर्क।।

भारत में कितने डाकघर हैं आइए जाने

सन 2003-2004 में भारत में 155837 डाकघर थे, जिनमें 139280 डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 16534 शहरी क्षेत्रों में थे। इस प्रकार भारत विश्व का सबसे बड़ा डाकघर नेटवर्क रखने वाला देश है। देश में एक डाकघर आवश्यक रूप से 6602 लोगों को डाक सेवाएं उपलब्ध करा रहा है तथा 21.09 वर्ग किलोमीटर की सेवा करता है।

नियमित डाकघरों के अतिरिक्त यहां सुदूरवर्ती भागों में स्थित हजारों ग्रामों को सचल डाकघरों की सेवाएं भी उपलब्ध कराता है। भारत में संचार मंत्रालय द्वारा डाक का शीघ्र निपटान करने के लिए पिन कोड संख्या का प्रयोग आरंभ किया गया है। यह 6 अंको की एक संख्या होती है जो देश में नगरों एवं कस्बों को आवंटित की गई है।

इस पिन कोड की सहायता से राज्य जनपद तहसील एवं डाकघर का सुगमता से पता चल जाता है। इससे डाक वितरण में होने वाली त्रुटियों की समस्या का समाधान हो गया है

क्या आपको पता है भारत के किस भाग में सड़क तथा रेल परिवहन की अपेक्षा हवाई परिवहन सबसे सस्ता पड़ता है

हवाई परिवहन परिवहन का एक ऐसा साधन है जो सबसे महंगा तीव्र गति वाला तथा सबसे आरामदायक साधन है। परंतु उच्च पर्वतीय क्षेत्रों उबड़ खाबड़ क्षेत्रों सुनसान एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों संघन वनो तथा गहरे सागरीय क्षेत्रों में रेल एवं सड़क परिवहन की अपेक्षा सुगम एवं सस्ता पड़ता है

उदाहरण के लिए भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में सड़क एवं रेल परिवहन की तुलना में वायु परिवहन अधिक महत्वपूर्ण और लोकप्रिय है क्योंकि यह उच्च पर्वतीय क्षेत्र अत्यधिक उबर खाबर तथा सघन वनों से अच्छादित है।

इसके बीच बीच में अंतरराष्ट्रीय सीमाएं पढ़ती हैं भारत के इस सीमांत क्षेत्र में 4 देशों की सीमाएं इतने मिलती हैं इसके साथ ही मूसलाधार एवं तीव्र वर्षा के प्रभाव से यहां जलधाराएं तीव्र गति से प्रवाहित होती हैं जिससे भूतल का अपरदन बड़ी शीघ्रता से हो जाती है। यहां रेल एवं सड़क मार्गों के लिए फूलों का निर्माण करना बड़ा ही कठिन है

तथा रेल व सड़क मार्ग का निर्माण बड़ा व्यय साध्य है। इसके साथ ही बाढ़ के समय यह रेल एवं सड़क मार्गों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है यह सभी कारक स्थल परिवहन अर्थात रेल व सड़क परिवहन में बड़ी बाधाएं उत्पन्न करते हैं। अतः देश के उत्तर पूर्वी भागों में सड़क एवं रेल परिवहन की अपेक्षा हवाई परिवहन सस्ता पड़ता है

जबकि देश के पश्चिमी सीमांत (जम्मू कश्मीर राज्य) पर यह व्यय लगभग बराबर रहता है लगभग बराबर रहता है। इस प्रकार भारत का उत्तर पूर्वी सीमांत क्षेत्र उबड़ खाबड़ उच्च पर्वत श्रेणियों सघन वनों बाढ़ ग्रस्त तथा अंतरराष्ट्रीय समस्याओं से युक्त है जो सड़क एवं रेल परिवहन में सबसे बड़ी बाधाएं हैं अतः इस क्षेत्र में सड़क एवं रेल परिवहन की अपेक्षा हवाई परिवहन सुगम एवं सस्ता पड़ता है।

हमारे देश में हवाई परिवहन की महत्व

हवाई परिवहन यातायात का तीव्रगामी साधन है। वर्तमान युग में किसी भी राष्ट्र के त्वरित आर्थिक विकास में हवाई परिवहन के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता।

भारत जैसे विशाल देश के लिए तो इसका महत्व और भी अधिक है। व्हाई मार्गो की लंबाई की दृष्टि से भारत विश्व का चौथा बड़ा देश है देश के विशाल आकार अनुकूल जलवायु तथा विषम धरातलीय बनावट के कारण यहा हवाई मार्गो का विकास तेजी से हुआ है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से भारतीय सेवाओं को निम्नलिखित भागों उपयोग किया जाता है।

हमारे देश में कागज का उद्योग

वर्तमान में एक कागज दैनिक उपयोग की एक महत्वपूर्ण वस्तु है।

शिक्षा और ज्ञान के प्रसार में कागज का बहुत अधिक महत्व है भारत में कागज बनाने का कार्य कुटीर उद्योग के रूप में 10 वीं शताब्दी से होता चला आ रहा है।

आधुनिक ढंग से मशीनों द्वारा कागज बनाने का पहला प्रयास 1816 ई.मे ट्रंकुवार (चेन्नई) नमक का स्थान पर किया गया परंतु इसमें सफलता नहीं मिल पाई इसके पश्चात 1867 ई. मे बाली (कोलकाता) नामक स्थान पर रॉयल पेपर की स्थापना हुई।

दूसरा सफल प्रयास 1879 ई. मैं लखनऊ में तथा तीसरा प्रयास 1881 ई. मे टीटागढ़ में आरंभ हुआ। आप देश में दत्ता एवं कागज की 515 तथा अखबारी कागज की 63 बड़ी और 2748 लघु इकाइयां उत्पादन में संलग्न है। इनमें 200 एक कागज मिले हैं।

हमारे देश में कागज उद्योग का स्थानीयकरण

कागज उद्योग की स्थापना के लिए कच्चा माल स्वच्छ जल रसायनिक पदार्थ सख्त के संसाधन सस्ते एवं कुशल श्रमिक परिवहन के विकसित साधन पर्याप्त मांग तथा सरकारी सहायता एवं संरक्षण आवश्यक होते हैं।

भारत में कागज उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में भगाई घास गन्ने की कोई फटे पुराने चितली रद्दी कागज मां तथा कोमल लकड़ी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सागर तथा फटे पुराने कपड़ों का पुनर्चक्रण का उनका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जाता है।

हमारे देश में कागज निर्माण के केंद्

भारत में कागज उद्योग का केंद्रीय करण दक्षिण पूर्वी भागों में अधिक हुआ है, क्योंकि यहां पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल उपलब्ध है।

पश्चिमी बंगाल में टीटागढ़ व नैहाटी आंध्र प्रदेश शिरपुर व राजमुंद्री महाराष्ट्र में बल्लारपुर कल्याण बा खोपोली मध्यप्रदेश में नेपानगर होशंगाबाद कर्नाटक में भद्रावती व दांडेली बिहार में डालमिया नगर उड़ीसा में ब्रजराजनगर हरियाणा में जगाधरी व फरीदाबाद,

उत्तर प्रदेश में सहारनपुर एवं लखनऊ लाल कुआं हल्द्वानी तथा तमिलनाडु में कोयंबटूर पुन्नालूर, मदुरई और तिरुनेल्वेली कागज निर्माण के प्रमुख केंद्र है। सन 2003-2004 मैं भारत ने 33.21 मीटरी टन कागज का गत्ते का निर्माण किया था। कागज उत्पादन में वृद्धि होने के उपरांत भी भारत को कागज का आयात करना पड़ता है

इसके साथ ही भारत कुछ विशिष्ट प्रकार के रसायनिक कागज विद्युत और उधर तथा फिल्टर कागज का आयात करता है।

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