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सामान्य उद्देश्य धारा 149
धारा 149 के अंतर्गत अपराधी डाइट के निर्धारण के लिए आवश्यक विधि विरुद्ध जमाव के किसी सदस्य द्वारा कोई अपराध किए जाए और दूसरे शब्दों में जलजमाव का समान उद्देश्य धारा 141 में उल्लेखित कोई उद्देश्य और जमाव के सदस्यों की संख्या 5 या उससे अधिक हो तभी विधि विरुद्ध जमाव का सृजन होता है संहिता की धारा 149 में कहा गया है
कि यदि विरोध किसी सदस्य द्वारा अपराध किया जाए या कोई अपराध किया जाता है जिसके किया जाने से उस जमाव के सदस्य उस उद्देश्य को अग्रसर करने में संभव जानते थे तो हर व्यक्ति जो अपराध किए जाने के समय उसका सदस्य अपराध का दोषी होगा। सामान्य 29 को धारा 149 के अधीन निम्न वत परिभाषित किया गया है
यदि विरुद्ध जमाव के किसी सदस्य द्वारा उस जमाव के समान उसको अग्रसर करने में अपराध किया जाता है या कोई ऐसा अपराध किया जाता है जिसका किया जाना जमाव के सदस्य उस देश का अग्रसर करने में संभव हो जाता है तो हर व्यक्ति को अपराध किए जाते समय उस जमाव का सदस्य है जो अपराध का दोषी है
अपराधी का दोषी माना जाएगा। इस अपराध के निमित्त आते हैं विधवाओं के किसी सदस्य द्वारा किसी अपराध का किया जाना। ऐसा अपराध जो समान उद्देश्य जो अग्रसर करने में किया गया हो या ऐसा हो जिसका किया जाना जमाव का हर सदस्य संभाल जानता हो।
विधि विरुद्ध जमाव के किसी सदस्य द्वारा किसी अपराध का किया जान
कोई जवाब भी दे विरुद्ध है या नहीं धारा 47 के अनुसार इस बात का निर्धारण उन कार्यों से होगा कि यदि जमाव का गठन उन कार्यों को करने के लिए किया गया हो जो जोकि उक्त धाराओं के अधीन दिए गए हैं।
समान उद्देश्य को अग्रसर करने में प्रयुक्त पदावली से अस्पष्ट दर्शित होता है की विधि विरुद्ध जमाव द्वारा किए जाने वाले कार्य की प्रकृति इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे कि सामान्य उद्देश्य की प्राप्ति के लिए गया और केंद्र सामान्य प्रदेश की भागीदारी के लिए क्या आवश्यक नहीं होगा विरोध का सदस्य उपस्थित रहे तथा किंतु सामान्य उद्देश्य का होना इस धारा के अधीन दायित्व के लिए आवश्यक है।
संभव जानते हो
धारा के द्वितीय भाग में प्रयुक्त शब्द सदस्य संभाव्य जानते हो एक ऐसा होता है जिसमें जमाव के सदस्य जानते थे कि समान विदेश के चरणों में अपराध कार्य किया जाना संभव है
किसी वस्तु का घटित होना संभव होगा घटना निश्चय किया। थोड़ा यदि का पहले से ही जेल में विरोधी तथा कई व्यक्ति विभिन्न घातक अवैध से लैस हो उसे छुड़ाने के हेतु आने पर एकत्रित होते हैं तो उसमें की जा सकती है
कि ऐसा कार्य संभव थी जो कि विरोधी थे व्यक्ति को छुड़ाने में मामले की परिस्थिति के अधीन वादियों से किसी भी जेल कर्मी का प्रहार किया जा सकता है। थोड़ा व्यापक विश्लेषण करने पर हमें यह स्पष्ट होता है
कि धारा 149 के सक्रिय होने के लिए तीन आवश्यक तत्वों का साबित किया जाना आवश्यक है पहला या की विधि विरुद्ध जमाव किसी के सदस्य द्वारा अपराध किए गया था तू उतर आया कि अभियुक्त का सदस्य था और उसे जानता था किसी सदस्य द्वारा अपराध किया गया था
दूसरा यह कि अभियुक्त उस विधि विरुद्ध जमाव का सदस्यता और भाषा से उसमें समान उद्देश्य जानता था तीसरा यह कि आप राधे आत्माओं के सामने और देश को आजाद करने में किया गया था अथवा जिसका सामान उद्देश को करने में किया जाना चाहिए था अथवा जिसका सामान की जानकारी संभावना।
धारा 149 का आशय है विधि विरुद्ध जमाव के सदस्य को हर उस अपराध के लिए दंडित करना नहीं है जो कि उसके सदस्य उस समय करें जल्दी सम्मानित इस पर असर करने की में लगे हुए हैं अभिजीत को विद वीरू जमाव के सदस्य की हैसियत से बनने के लिए दो अन्य बातों का पूरा होना आवश्यक है अपराध वाह किया जा सकता था
दूसरी शर्त यह है कि अपराध के कार्य किए जाने के समय वह अभियुक्त उस जमाव का सदस्य था। थोड़ा व्यापार विश्लेषण पर यह स्पष्ट होता है कि धारणा परिभाषा संभावना अधिक रात में परिभाषा दी गई है जबकि भारतीय दंड संहिता नकारात्मक परिभाषा दी गई है व्यक्तियों के समूह में मुखिया के पास एवं अन्य थे और उस हमले में मुखिया जी को हथियार ले जाते हुए पकड़ा गया और जियाजी को थाने में दर्ज कराया गया है
तुम हमें कहा कि हमें हथियार थे तो जिन लोगों ने इसका विरोध किया उसमें एक मुखिया द्वारा मारा गया धारण किया गया कि वह सब हत्या के अपराध ही दोषी थे। समाना सेवन समान उद्देश्य के अंतर धारा 34 एवं 149 में निम्नलिखित धारा 34 प्रतिपाद्य के नाम से जाना जाता है जबकि धारा 149 में प्रतिपादित देश के नाम से जाना जाता है किया जाता है के द्वारा किया जाता है।
इसके विपरीत धारा 149 के अधीन कार्य 5 या 5 से अधिक व्यक्ति होने चाहिए। धारा 34 के अंतर्गत प्रतिपादित सिद्धांत जिस निरपेक्ष दायित्व का सिद्धांत कहा जाता है उसके अंतर्गत अपराधिक कार्य में सम्मिलित व्यक्तियों का दायित्व लाया गया है ना कि एक स्वतंत्र अपराध की संकल्पना प्रतिपादित की गई है कोई भी कार्य किया जा सकता है अर्थात किसी प्रकार की अपराध किया जा सकता है।
इसके विपरीत धारा 149 के अधीन दायित्व के लिए कार्य किए जाने की संभावना मात्र एक ज्ञान ही प्रयास है चार पांच व्यक्तियों के अधीन।