आइए जानते हैं चेरापूंजी में अधिक वर्षा होने के क्या कारण है By – StudyThink

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चेरापूंजी मेघालय राज्य में एक ऐसी घाटी की तलहटी में स्थित है जो तीन और से गारो घासी तथा जयंतिया की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। बंगाल की खाड़ी के मानसून की एक शाखा उत्तर तथा उत्तर पूर्व दिशा में ब्रह्मपुत्र की घाटी की ओर बढ़ जाती है इससे उत्तर पूर्वी भारत में अधिक वर्षा होती है। इसकी एक उपशाखा मेघालय स्थित गारो खासी और जयंतिया की पहाड़ियों से टकराती हैं। इन पहाड़ियों के दक्षिणी भाग में चेरापूंजी की स्थित है। इसकी स्थित कीप की आकृत वाली घाटी के सिर पर है। स्थलाकृति की दृष्टि से इसकी विशिष्ट स्थिति तथा पवनों की दिशा के कारण चेरापूंजी संसार का सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान बन गया है। यहां वार्षिक वर्षा का अवसर 12 सेंटीमीटर से भी अधिक है। यहां 2250 सेंटीमीटर तक वर्षा हो चुकी है। अब चेरापूंजी की समीप मात्र 17 किलोमीटर की दूरी पर भसीन राम गांव में सर्वाधिक वर्षा 1354 सेंटीमीटर होती है।

उत्तरी भारत में किन किन राज्यों में बाढ़ का खतरा ज्यादा होता है आइए जाने

उत्तरी भारत के असम पश्चिम बंगाल बिहार तथा उत्तर प्रदेश राज्य में बड़ों का प्रकोप सर्वाधिक रहता है इन प्रदेशों में एक और दो मूसलाधार वर्षा होती है दूसरे जल के साथ पर्याप्त मिट्टी बह कर नदियों की तली में एकत्र हो जाती है जिस कारण अवसादो के जमा होने से नदियों की तलहटी ऊंची हो जाती हैं। फल स्वरुप नदियों काजल अपनी घाटी के दोनों ओर फैलाकर बाढ़ का रूप ले लेता है। इसके अतिरिक्त उत्तरी भारत में धरातल का ढाल भी अत्यंत कम है जो बाढ़ को प्रोत्साहित करता है। इन्हीं कारणों से उत्तरी भारत में वर्षा ऋतु में बाढ़ का प्रकोप अधिक रहता है।

आइए जानें परमाणु वर्ग ऊर्जा के बारे में

भारत में उत्तम कोर्ट की कोयले तथा खनिज तेल का अभाव पाया जाता है परमाणु ऊर्जा के उपयोग से इस कमी को पूरा किया जा सकता है। परमाणु ऊर्जा केंद्र ऐसे स्थानों पर सरलता से स्थापित किए जा सकते हैं जहां शक्ति के अन्य संसाधन या तो है ही नहीं अथवा उनकी भारी कमी है। कुछ परमाणु खनिजों के भारत में पर्याप्त भंडार हैं उदाहरणार्थ झारखंड के सिंह भूमि एवं राजस्थान के कुछ भागों में यूरेनियम की खान है केरल के समुद्री तट पर पाए जाने वाले मोनो जाइंट बालू परमाणु ऊर्जा का विपुल संसाधन है इसके अतिरिक्त प्ले करो लिख जेल के नियम तथा ग्रेफाइट के प्रयास भंडार देश में ही विद्यमान है। ऊर्जा के परंपरागत संसाधन अर्थात कोयला एवं खनिज तेल की भंडार सीमित हैं अतः उन्हें अधिक दिनों तक ऊर्जा संसाधन के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है परमाणु खनिजों के पर्याप्त भंडार तथा परमाणु ऊर्जा किन्नरों का सरलता से स्थापन ऐसे कारण है जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में परमाणु ऊर्जा का महत्व दिन पतिदिन बढ़ता ही जाएगा।

भारत में गेहूं उत्पादक कौन-कौन से क्षेत्र है आइए जाने

भारत के उत्तरी विशाल मैदान में विशेष रूप से पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दोमट मिट्टी ओं में गेहूं की अच्छी पैदावार होती है। उत्तर प्रदेश के अन्य भागों में से छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश बिहार झारखंड राजस्थान गुजरात तथा महाराष्ट्र के कुछ भागों में भी गेहूं उगाया जाता है इस प्रकार गेहूं उत्तरी भारत की प्रमुख फसल है जहां देश का 70 परसेंट गेहूं उगाया जाता है। पंजाब भारत का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है। और भारत का दूसरा बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है उत्तर प्रदेश।

आइए जाने भारत के सूती कपड़े उत्पादक क्षेत्र और महत्वपूर्ण केंद्र

यद्यपि भारत के अनेक राज्यों में सूती वस्त्रों का उत्पादन किया जाता है परंतु इसका सर्वाधिक विकास गुजरात एवं महाराष्ट्र राज्य में हुआ है। मुंबई तथा अहमदाबाद नगर सूती वस्त्र उद्योग के प्रधान केंद्र हैं। भारत के प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक क्षेत्र है।

आइए जाने संसद के सत्र

संसद के प्रत्येक सदन को राष्ट्रपति समय-समय पर समान जारी करता है लेकिन संसद के दोनों सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल 6 माह से ज्यादा नहीं होना चाहिए दूसरे शब्दों में संसद को कम से कम वर्ष में दो बार मिलना चाहिए सम्मानिता वर्ष में 3 सत्र होते हैं-

1. बजट सत्र फरवरी से मई

2. मानसून सत्र जुलाई से सितंबर

3. शीतकालीन सत्र नवंबर से दिसंबर

संसद का सत्र प्रथम बैठक से लेकर सत्र शान या लोकसभा के मामले में विघटन के मध्य की समय अवधि है सत्य के दौरान सदन कार्यो के संचालन हेतु प्रत्येक दिन आहूत होता है एक सत्र के अवसान एवं दूसरे सत्र के प्रारंभ होने के मध्य की समय अवधि को अवकाश करते हैं।

विघटन

एक स्थाई सदन होने के कारण राज्यसभा विघटन नहीं की जा सकती सिर्फ लोकसभा का विघटन होता है सत्रावसान के विपरीत विघटन विधानसभा के जीवन काल को समाप्त कर देता है और इसका पुनर्गठन ने चुनाव के बाद ही होता है लोकसभा को दो कारणों से विकसित किया जा सकता है

1. स्वयं विघटित जब इसके 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो जाए जब राष्ट्रीय आपातकाल के लिए समय बढ़ाया गया हो।

2. जब राष्ट्रपति सदन को विघटित करने का निर्णय ले। जिसे लेने के लिए वह प्राधिकृत है। अपनी सामान्य कालावधी से पूर्व का विघटन अपरिवर्तनीय विघटन है। जब लोकसभा में गठित की जाती है तो इसके सारे कार्य जैसे विधेयक प्रस्ताव संकल्प नोटिस याचिका आदि समाप्त हो जाते हैं उन्हें नवगठित लोकसभा में दोबारा लाना जरूरी है यद्यपि जिम लंबित विधेयकों को सभी लंबित आश्वासनों जिनकी जांच सरकारी आश्वासनों संबंधित द्वारा की जानी होती है

लोकसभा के पैटर्न पर समाप्त नहीं होते हैं समाप्त होने वाले विधेयकों के संबंध में निम्नलिखित स्थित होती हैं-

1. विचारधीन विधेयक को लोकसभा में है चाहे लोकसभा में रखे गए हो या फिर राज सभा द्वारा हस्तांतरित किए गए हो।

2. लोकसभा में पारित किंतु राज्यसभा में भी 4 दिन विधेयक समाप्त हो जाते हैं।

3. ऐसा विधेयक जो दोनों सदनों में असहमति के कारण पारित ना हुआ हो और राष्ट्रपति ने विघटन होने से पूर्व दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाई हो समाप्त नहीं होता।

4. ऐसा विधेयक जो राज्यसभा में विचाराधीन हो लेकिन लोकसभा द्वारा पारित ना हो समाप्त नहीं होता।

5. ऐसा विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित हो और राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए विचार अधीन हो समाप्त नहीं होता।

6. ऐसा विधेयक जो दोनों सदनों द्वारा पारित हो लेकिन राष्ट्रपति द्वारा पुनर्विचार के लिए लौटा दिया गया हो वह समाप्त नहीं होता।

आशा करते हैं कि आप को इस से बहुत ही सीखने को मिला होगा ऐसे ही पोस्ट प्राप्त करने के लिए वेबसाइट विजिट करते रहे तब तक के लिए जय हिंद

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